Saturday, November 29, 2025

Lippan art ON DATE 27-28 NOVEMBER 2025 CLASS VI TO VIII

 



बैतूल। पीएम श्री केंद्रीय विद्यालय बैतूल में 27 और 28 नवंबर को बैगलेस डे का आयोजन किया गया, जिसमें कक्षा छठवीं से आठवीं तक के विद्यार्थियों ने बिना बैग के रचनात्मकता से भरे इन दो दिनों का आनंद लिया। विद्यालय में आयोजित इस विशेष कार्यक्रम में बच्चों को कला, अभिव्यक्ति और व्यावहारिक ज्ञान को नजदीक से समझने का अवसर मिला, जिसने उनके उत्साह और सीखने की जिज्ञासा को और बढ़ा दिया।
– लिप्पन कला ने खींचा ध्यान
कार्यक्रम के पहले दिन बच्चों को गुजरात की प्रसिद्ध लिप्पन कला से रूबरू कराया गया। इस अवसर पर भोपाल से पधारे कला के माहिर कलाकार आशीष कुमार कुशवाहा ने विद्यार्थियों को लिप्पन कला की बारीकियों को सरल और व्यवहारिक तरीके से सिखाया। मिट्टी, बनावट और डिजाइन के संतुलन को समझते हुए बच्चों ने अपने हाथों से खूबसूरत कलाकृतिया बनाईं। बच्चों में उत्साह का यह आलम था कि हर विद्यार्थी अपनी रचना को नये रूप में ढालने के लिए उत्सुक दिखाई दिया।
– विद्यार्थी ढोकरा कला की बारीकियों से हुए परिचित
दूसरे दिन छात्रों को छत्तीसगढ़ की पारंपरिक ढोकरा कला का व्यावहारिक ज्ञान दिया गया। आशीष कुमार कुशवाहा ने अपने अनुभव और कौशल के आधार पर इस लोककला के ऐतिहासिक स्वरूप, तकनीक और निर्माण प्रक्रिया को रोचक तरीके से समझाया। ढोकरा कला अपने विशिष्ट धातु कार्य और परंपरागत शिल्प के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है, जिसे देखकर बच्चे अत्यंत प्रभावित हुए। दो दिनों में छात्रों ने कला के माध्यम से भारतीय संस्कृति को समझा और अपनी रचनात्मक क्षमताओं को भी मजबूती दी।
 हर कला का अपना महत्व
विद्यालय प्राचार्य आर. एन. पांडे ने विद्यार्थियों को प्रेरित करते हुए कहा कि जीवन में हर कला का अपना महत्व होता है और बच्चों को हर क्षेत्र में दक्षता प्राप्त करने के लिए ऐसे कार्यक्रम अत्यंत उपयोगी होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विद्यालय में ऐसे रचनात्मक कार्यक्रम समय-समय पर विद्यार्थियों के हित में आयोजित किए जाते रहेंगे ताकि बच्चे पढ़ाई के साथ-साथ कला के विभिन्न आयामों को समझ सकें।
बैगलेस डे को सफल बनाने में विद्यालय के सभी शिक्षकों का विशेष सहयोग रहा। कला शिक्षिका श्रीमती सीमा साहू ने भी पूरे मनोयोग से दो दिनों तक बच्चों को कला में मार्गदर्शन दिया और कार्यक्रम के संचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके सहयोग से कई बच्चों ने पहली बार इन पारंपरिक कलाओं को इतने करीब से समझा और सीखा। कार्यक्रम को सफल बनाने में रमेश कुमार पण्डोले, तारिका नरूला आदि शिक्षकों का विशेष योगदान रहा।
– खुश नजर आए बच्चे
दो दिनों तक बिना बैग के विद्यालय पहुंचे बच्चे इस अनोखे अनुभव से बेहद प्रसन्न दिखाई दिए। कला, रचनात्मकता और व्यवहारिक सीख के मेल ने कार्यक्रम को यादगार बना दिया। बैगलेस डे ने बच्चों को पढ़ाई के अलावा एक नया दृष्टिकोण और नई ऊर्जा प्रदान की।

No comments:

Post a Comment